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वड़ोदरा के महाराजा सर सयाजीराव गायकवाड़ का आधुनिक भारत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा। आइये देखे इस महानराजा की कहानी

सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय (मूल नाम: श्रीमन्त गोपालराव गायकवाड; 11 मार्च, 1863 – 6 फरवरी, 1939) सन 1875 से 1939 तक वडोदरा रियासत के महाराजा थे। उन्होने अपने शासनकाल में वडोदरा का कायापलट कर दिया। .

जब लोग जन गण मन अधिनायक गाकर जार्ज पंचम के प्रति अपनी वफादारी सिद्ध कर रहे थे, उस समय सयाजी महाराज ने अपने स्वाभिमान का परिचय देकर सभी को चौका दिया।
डगलस होम ने अपनी किताब "ए ग्लिंप्स ऑफ़ एंपायर" में इस घटना का जिक्र कुछ इस प्रकार किया है,
''दरबार में अंग्रेज़ राजा और रानी के शामियाने तक आने के बाद सयाजी राव हल्के से झुके और पीठ फेरकर अपनी सुनहरी लाठी को ठकठकाते हुए चल दिए।''
डगलस होम के मुताबिक़ महाराजा के इस अंदाज़ को देखकर सारे अंग्रेज़ अधिकारी भौंचक रह गए। अपनी किताब' में डगलस होम ने लिखा, ''पता चलता है कि हैदराबाद के निज़ाम के बाद दूसरे सबसे अहम शासक सयाजी राव ने भारत के वायसराय लॉर्ड हार्डिंग की किताब का हर क़ानून तोड़ा है |''
हलांकि अंग्रेजों ने अपनी नाखुशी जताने की कोशिश भी की मगर वह भी बहुत दिनों तक नहीं रह सकी। साल 1919 में महाराजा और अंग्रेज़ों के बीच के रिश्ते में कुछ सुधार आया और जब उन्हे 'नाईट ग्रैंड कमांडर' की उपाधि दी गई थी.
सयाजी राव कोई आम भारतीय रजवाड़े नहीं थे. उनका नाम देश के कुछ समाज सुधारकों में भी आता है। यही नहीं उन्होंने अरविंद घोष और अंबेडकर जैसे अनेकों क्रांतिवीरों को प्रशिक्षण में मदद व आश्रय प्रदान किया।
वे पहले भारतीय राजा थे जिन्होने अपने राज्य में साल 1906 में मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा का नियम शुरू किया। शिक्षा की महत्ता को देखते हुए उन्होंने पूरे देशभर में शिक्षण संस्थानों की नीव रखी एवं कई लाइब्रेरी खुलवाई |

बड़ौदा में कपड़ा व्यवसाय और बैंकिंग को प्रचलित करने में भी सयाजी राव का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है।
आधुनिक दौर में, सख्ती से शराबबंदी लागू करने वाला बड़ौदा भारत का पहला राज्य बना। इसी कारण स्वतंत्रता के बाद आज तक गुजरात में पूर्ण रूप से शराब पर प्रतिबंध लागू है।

लक्ष्मी विलास महल 
लक्ष्मीविलास महल लक्ष्मी विलास महल बड़ोदरा में स्थित है। लक्ष्मी विलास पैलेस, इंडो-सरैसेनिक रिवाइवल आर्किटेक्चर की एक असाधारण इमारत, 1890 में महाराजा सयाजीराव गायकवाड द्वारा निर्मित किया गया था। यह उस दौर का सबसे बड़ा निजी आवास रहा है और बकिंघम पैलेस के आकार का चार गुना है। निर्माण के समय में यह सबसे आधुनिक सुविधाओं जैसे एलीवेटर और इंटीरियर को बड़े यूरोपीय देश के घर की याद दिलाती है। यह शाही परिवार का निवास है, जो बड़ौदा के निवासियों द्वारा उच्च सम्मान में आयोजित किया जाता है।

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सयाजीराव गायकवाड़ पुस्तकालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालयसयाजीराव गायकवाड़ पुस्तकालय बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय का मुख्य पुस्तकालय है। इसको 'केन्द्रीय पुस्तकालय' भी कहते हैं। इसकी स्थापना 1917 में हुई थी। इसका वर्तमान भवन ब्रिटिश संग्रहालय की तर्ज पर 1941 में बना था। इसके निर्माण के लिये महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ से बड़ी धनराशि दानस्वरुप दी गयी थी| वे वडोदरा राज्य में जगह-जगह पुस्तकालय निर्माण के लिये प्रसिद्ध थे | सयाजीराव गायकवाड़ जी के शिक्षा के प्रति रूचि इसी से पता लग जाती है| प्रसिद्द नोबल विजेता रवीन्द्र नाथ टैगोर जी द्वारा संचालित शांतिनिकेतन विद्यालय परिसर को भी नियमित आर्थिक सहयोग देते थे |


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बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ का दुर्लभ वीडियो
बड़ौदा के महाराजा सयाजी राव गायकवाड़। उस समय वे दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति थे। वह बड़ौदा शहर के  सफल राजा रहे। इस विडियो में बड़ौदा की महारानी और राजकुमार महाराजा प्रतापसिंह गायकवाड़ जी भी है, जो महाराजा सयाजी राव गायकवाड़ के पोते थे।






1 comment:

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