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क्रांतिकारी डॉ.गया प्रसाद कटियार के द्वारा फिरोजपुर में गुप्त ठिकाना के संचालन वाली इमारत पंजाब सरकार द्वारा राष्ट्रीय धरोहर घोषित

क्रांतिकारी डॉ.गया प्रसाद कटियार के द्वारा फिरोजपुर में "गुप्त ठिकाना" के संचालन वाली इमारत पंजाब सरकार द्वारा" राष्ट्रीय धरोहर" घोषित बधाई |


विदेशी सत्ता के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में देश के शीर्षस्थ क्रांतिकारियों को अपने आँचल में पनाह देने वाली और कई ऐतिहासिक गतिविधियों की गवाह रही यह ऐतिहासिक इमारत अब "राष्ट्रीय धरोहर "हो गई है ! इस पूरी दो मंजिला इमारत को किराए पर ले कर अपने अधीन कर 10 अगस्त 1928 से 09 फरवरी 1929 तक क्रांतिकारी डॉ. गया प्रसाद कटियार ने अपने फर्जी नाम डॉ. बी.एस. निगम के नाम से दवाखाना खोल कर सफलतापूर्वक क्रांतिकारी पार्टी H.S.R.A. के गुप्त ठिकाने का संचालन किया था.......



इमारत में प्रमुख गतिविधियां


(1)क्रांतिकारी पार्टी "हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी" (H.S.R.A. ) का पहला गुप्त केंद्रीय कार्यालय रहा..

(2)अंग्रेज Dy.S.P सांडर्ष की हत्या की योजना के क्रियान्वयन हेतु "सिक्ख "सरदार भगत सिंह के केश व दाढी काटे गए ..

(3) सांडर्ष हत्या और अन्य कार्यों के क्रियान्वयन हेतु एयर पिस्टल से निशानेबाजी सीखी गई....

(4) सुप्रसिद्ध " चाँद "के 10,000 प्रतियों में प्रकाशित होने वाली पुस्तक के "फांसी अंक "के लिए शहीदों की जीवनियाँ लिखी गईं (बाद में अंग्रेजों द्वारा पुस्तक जब्ती )....

(5) देश के शीर्षस्थ क्रांतिकारियों शहीद-ए- आजम भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद ,सुखदेव, महावीर सिंह ,शिव वर्मा, विजय कुमार सिन्हा का फरारी हालत में आना -जाना, रात में रुकना तथा भेष बदलना आदि...

(6) क्रांतिकारी पार्टी H.S.R.A.का गुप्त सामान जैसे बम बनाने का सामान, बम, रिवाल्वर, पिस्तौल आदि हथियार व साहित्य ,दस्तावेज आदि को रखने का ठिकाना ......





बाद में सांडर्ष हत्या काण्ड में शामिल रहा जयगोपाल को जब पुलिस ने पकड़ा और सरकारी मुखबिर बना लिया ,तब जयगोपाल द्वारा भेद खोलने पर ही अंग्रेज़ इस इमारत का भेद जान पाए |इसी जयगोपाल ने डॉ.गया प्रसाद कटियार के इसी इमारत के दवाखाने में बतौर नौकर व कंपाउंडर बनकर पूरे समय साथ रहा था | बाद में कानपुर निवासी डॉ. गया प्रसाद कटियार को प्रसिद्ध "लाहौर षडयंत्र केस "में आजीवन कारावास की सजा देकर ब्रिटिश हुकूमत ने कालापानी जेल सहित लगातार 17 वर्षों तक वीभत्स यातनायें दे कर जेलों में रखा | स्वतंत्र भारत में भी डॉक्टर साहब 2 वर्षों तक जेलों के मेहमान रहे |

राष्ट्रीय धरोहर के लिए संघर्ष

सर्वप्रथम फिरोजपुर के हीे खोजी इतिहासकार व इंजीनियर राकेश कुमार जी ने लाहौर षडयंत्र केस की फाइलों व अन्य कई स्रोतों व व्यक्तिगत रुप से पूर्ण जानकारी एकत्रित कर पहले पंजाबी भाषा में इसी इमारत पर एक पुस्तक लिखकर पूरे पंजाब में प्रचारित किया |इसके पश्चात हिंदी में वृहद पुस्तक लिखकर इसका विमोचन क्रांतिकारी डॉ. गया प्रसाद कटियार के पुत्र श्री क्रांति कुमार कटियार के द्वारा फिरोजपुर में इसका विमोचन कराया और लंबी प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्रांति कुमार कटियार द्वारा इस इमारत की ऐतिहासिक गतिविधियां ,क्रांतिकारियों के आदर्शों व विचारों सहित देश की वर्तमान परिस्थितियों पर प्रकाश डाला गया, जिससे कि पंजाब सहित पूरे देश में मीडिया व पुस्तक के द्वारा इसको बहुत प्रचार व जनसमर्थन मिला |इधर राकेश कुमार जी ने कई वर्षों से समाचार पत्र, पत्रिकाओं में लेख, सेमिनार ,पंफलेट व पोस्टरों ,सरकार से पत्र-व्यवहार ,सामाजिक संगठनों से संपर्क आदि के अथक प्रयासों से "राष्ट्रीय धरोहर" घोषित करने की मांग के लिए लगातार संघर्ष करते रहे| इस बीच एडवोकेट एच.सी. अरोड़ा ने हाईकोर्ट में PIL दाखिल कर पंजाब सरकार को जवाब देने के लिए मजबूर कर दिया |

अंततः राकेश कुमार द्वारा वह कुछ अन्य संगठनों व व्यक्तियों के संघर्षों के फलस्वरुप पंजाब सरकार ने "फाइनल नोटिफिकेशन" जारी कर जनवरी 2016 को इस ऐतिहासिक इमारत को "राष्ट्रीय धरोहर " का दर्जा घोषित कर दिया.|

अब उम्मीद है कि पंजाब सरकार ( अब और संघर्ष करने का मौका न देकर ) शीघ्र ही इस ऐतिहासिक इमारत को म्यूजियम व लाइब्रेरी आदि से सुसज्जित कर एक "ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल" के रुप में विकसित कर देगी.|

प्रस्तुति : डॉ .सुमन बाला कटियार ( पुत्रवधू क्रांतिकारी डॉ. गया प्रसाद कटियार )

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