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मिलिए इंदौर के डॉ० नीलेश पटेल जी से जिन्होंने पानी की गुणवत्ता सुधारने वाला उपकरण बायो-एक्टिवेटर बनाया : गर्व है हमे समाज के वैज्ञानिक पर


मिलिए इंदौर के डॉ० नीलेश पटेल जी से जिन्होंने पानी की गुणवत्ता सुधारने वाला उपकरण बायो-एक्टिवेटर बनाया : गर्व है हमे समाज के वैज्ञानिक पर



प्रदेश का पहला उपकरण धार के लालबाग में लगाया गया  - जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय ने दी मान्यता

इंदौर के डॉ० नीलेश पटेल ने ऐसा उपकरण बनाया है जो पानी की गुणवत्ता को इतना बेहतर कर देता है कि पेड़-पौधों का विकास कम समय में होने लगता है और मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार होता है। इस उपकरण को बायो एक्टिवेटर प्रोडक्ट का नाम दिया गया है। नैनो तकनीक से बने इस एक्टिवेटर को बनाने के लिए नौ साल तक रिसर्च हुई। कई देशों की यात्राएं की गई। गंगोत्री में शोध करने के बाद सफलता मिली।

डॉ. नीलेश पटेल के इस बायो एक्टिवेटर को प्रदेश में पहली बार धार के लालबाग में लगाया गया है। दावा किया जा रहा है कि इस उपकरण के माध्यम से न केवल शुद्घ पानी पौधों को मिलेगा बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता भी सुधरेगी। शुक्रवार को नपाध्यक्ष ममता जोशी ने लालबाग में इस उपकरण को स्थापित करवाया। इस उपकरण को जबलपुर के कृषि विश्वविद्यालय ने लंबे परीक्षण के बाद मान्यता दी है। एमबीबीएस कर चुके डॉ. पटेल कैंसर से संबंधित शोध कर रहे थे, उस दौरान पता लगा कि पानी में मौजूद कीटाणुओं और पेस्टीसाइट्स से कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। इसके बाद उनके दिमाग में एक ऐसा उपकरण बनाने के विचार ने जन्म लिया जो पानी की गुणवत्ता को सुधार सकता हो। इसके लिए उन्होंने जर्मनी, मलेशिया और दुबई की यात्रा की। नौ साल तक शोध करते रहे। इसके बाद वे सन 2009 में गंगोत्री गए। रिसर्च के दौरान पता लगा कि गंगोत्री का पानी जिन पत्थरों के बीच से होकर गुजरता है, उनमें कुल 16 किस्म की धातुओं का समावेश है। इसके बाद वे वापस लौटे और उपकरण को अंतिम रूप देने में जुट गए। इस उपकरण की सबसे अहम बात यही है कि डॉ. पटेल ने नैनो तकनीक के माध्यम से इसमें उन्हीं 16 धातुओं का एक सूक्ष्म वातावरण हीट फ्यूजन तकनीक से तैयार किया, जो गंगोत्री की यात्रा के दौरान उन्हें मिला था।

ऐसे काम करता है बायो एक्टिवेटर

बायो एक्टिवेटर को संचालित करने के लिए बिजली की जरूरत नहीं होती। इसमें एक ओर से पानी का पाइप जोड़ा जाता है और दूसरी ओर से एक पाइप और लगा होता है। जब पानी इस एक्टिवेटर से गुजरता है तो 16 धातुओं का सूक्ष्म मिश्रण एक कंपन पैदा करता है। इस कंपन से गुजरने वाला पानी बहुत ही कम समय में गुणवत्ता वाला हो जाता है। खास बात ये कि यह गंगोत्री जैसा शुद्घ पानी मिट्टी की गुणवत्ता को भी सुधार सकने में सक्षम है।

कैसे हुआ परीक्षण
इसके लिए उपकरण से शुद्घ किए पानी से पौधों की सिंचाई की गई और दूसरे क्षेत्र में सामान्य पानी से। परीक्षण के दौरान पाया गया कि बायो एक्टिवेटर वाले पानी से सिंचाई करने वाले पौधे कम वक्त में बढ़े जबकि सामान्य पानी से सिंचाई वाले पौधों को बढ़ने में वक्त लगा।

फैक्ट फाइल
-कीमत : 1 लाख 98,000

-संचालन के लिए बिजली जरूरी नहीं

-दावा : सिंचाई में 35 प्रतिशत की उपज में वृद्घि

-जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय ने प्रमाणित किया

-नैनो लेवल पर हीट फ्यूजन तकनीक से तैयार

http://liquidenergy.in/

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