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कल्पना चावला एवं सुनीता विलियम्स के बाद अन्तरिक्ष में जाने वाली तृतीय भारतीय हो सकती है : अनिमा साबले पाटिल


कल्पना चावला एवं सुनीता विलियम्स के बाद अन्तरिक्ष में जाने वाली तृतीय भारतीय हो सकती है : अनिमा साबले पाटिल




महाराष्ट्र की रहने वाली अनिमा साबले पाटिल जब छोटी थीं तब रिश्तेदार बोलते थे कि पढ़ लिखकर क्या करोगी शादी के बाद घर ही तो संभालना है। लेकिन बचपन से एस्ट्रोनॉट बनने की इच्छा रखने वाली अनिमा ने हिम्मत नहीं हारी और मां के सपोर्ट से एमसीए पूरा किया।








पुणे: महाराष्ट्र की रहने वाली अनिमा साबले पाटिल जब छोटी थीं तब रिश्तेदार बोलते थे कि पढ़-लिखकर क्या करोगी शादी के बाद घर ही तो संभालना है। लेकिन बचपन से एस्ट्रोनॉट बनने की इच्छा रखने वाली अनिमा ने हिम्मत नहीं हारी और मां के सपोर्ट से एमसीए पूरा किया। इसके बाद उन्होंने मुंबई की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम किया और अमेरिका चली गई। वहां दो बच्चों और घर को संभालते हुए उन्होंने एयरोस्पेस में इंजीनियरिंग की और आखिरकार उन्हें नासा में नौकरी मिली गई। इस तरह शुरू हुआ अनिमा का अंतरिक्ष अभियान से जुड़ने का सफर। यह और इस जैसी कई कहानियां अनिमा ने दैनिक भास्कर समूह के मराठी अखबार दिव्य मराठी से साझा की हैं।

14 दिनों तक अंतरिक्ष में रही

अनिमा साबले पाटिल नासा के केप्लर मिशन में सीनियर प्रिंसिपल सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। वह धरती जैसे ग्रह को खोजने वाली टीम में भी रही हैं। अपने अंतरिक्ष सफर के बारे में बताते हुए अनिमा ने बताया कि पृथ्वी से काफी दूर जहां मोबाइल सिग्नल को पहुंचने में 20 मिनट का समय लगता है, ऐसे निर्जन अज्ञात ग्राफोस ग्रह पर 4 लोगों संग 14 दिन बिताने का अनुभव बेहद अलग और शानदार था। इस मुहिम के लिए अनिमा का चयन होना भविष्य में अंतरिक्ष यात्री बनने का यह पहला कदम माना जाता है। इसमें अनिमा के साथ महिला अंतरिक्ष यात्री डेब्रो होजेस. फ्लाइट इंजीनियर सेम्युअल वाल्ड और सैमसन फास भी शामिल थे।

इस मिशन का मकसद

पृथ्वी से दूर किसी ग्रह पर जाकर कुछ दिन बिताने पर अंतरिक्ष यात्रियों के शारीरिक, मानसिक स्थिति में क्या बदलाव होता है, इसका अध्ययन करने के लिए इस प्रकार का मिशन चलाया जाता है। दूसरे ग्रह पर माइक्रो ग्रैविटी न होने से नजर और हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। साथ ही, अंतरिक्ष यात्रियों में सिरदर्द बढ़ने के लक्षण भी दिखाई देते हैं। ऐसे माहौल से अंतरिक्ष यात्रियों को पहले से तैयार करना इस मिशन का मकसद था।

केप्लर मिशन में भी थीं शामिल

नासा द्वारा अंतरिक्ष में ग्रह ढूंढने का काम केप्लर द्वारा किया जाता है। यह स्कूल बस के आकार का टेलिस्कोप है। नासा केप्लर मिशन के अंतर्गत ग्रहों की खोज कर रहा है। केप्लर आकाशगंगा में ग्रहों की मूवमेंट्स की फोटो खींचता है। यह एक सॉफ्टवेयर के जरिये हैंडल किया जाता है। इन फोटोज का अध्ययन कर नए ग्रहों की खोज की जाती है। इस मिशन की भी अहम सदस्य रही हैं अनिमा।

पिता चलाते हैं कोचिंग

महाराष्ट्र के जलगांव शहर की रहने वाली अनिमा एक साधारण परिवार से आती हैं। उनके पिता एक कोचिंग क्लास चलाते हैं। उनकी आरंभिक शिक्षा भी जलगांव के एक छोटे से स्कूल से हुई है।

भारतीय शिक्षा पद्धति में चाहती हैं बदलाव
अनिमा का मानना है कि भारतीय शिक्षा पद्धति में बच्चों पर अच्छे नंबर लाने का अधिक स्ट्रेस रहता है। यह पद्धति बदल कर उन्हें रिसर्च की ओर बढ़ावा देना चाहिए।


ग्रोफास पर अनिमा 14 दिन रही
ग्रोफास पर अनिमा 14 दिन रही 
नासा द्वारा अंतरिक्ष में ग्रह ढूंढने का काम केप्लर द्वारा किया जाता है। यह स्कूल बस के आकार का टेलिस्कोप है। नासा केप्लर मिशन के अंतर्गत ग्रहों की खोज कर रहा है। केप्लर आकाशगंगा में ग्रहों की मूवमेंट्स की फोटो खींचता है। यह एक सॉफ्टवेयर के जरिये हैंडल किया जाता है। इन फोटोज का अध्ययन कर नए ग्रहों की खोज की जाती है। इस मिशन की भी अहम सदस्य रही हैं अनिमा।
अपनी टीम के सदस्यों के साथ अनिमा








इस नई उपलब्धि के लिए KCI(कुर्मी कम्युनिटी इंडिया ) की तरफ से हार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभकामनाएँ |

ऑफिसियल वेबसाइट : https://animapatilsabale.com/

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