Header Ads

कुर्मी किसान पर लिखी गयी कविता | एकबार जरुर पढ़े सोचने पर मजबूर कर देगी |

जो किसान
खेत में टिटहरी के
अण्डे नजर आने पर
उतनी जगह की जोत
छोड़ देता है
वो यात्रियों से भरी बस के
काँच कैसे फोड़ देता है ?


जो किसान
खड़ी फसल में
चिड़िया के अंडे/चूजे देख
उतनी फसल नहीं काटता है
वो किसी की सम्पत्ति
कैसे लूट सकता है ?

जो किसान
पिंडाड़े में लगी आग में कूदकर
बिल्ली के बच्चे बचा लेता है
वो किसी के घर में
आग कैसे लगा देता है ?

जो किसान
दूध की एक बूंद भी
जमीन पर गिर जाने से
उसे पोंछकर माथे पर
लगा लेता है
वो उस अमृत को
सड़कों पर कैसे बहा देता है ?

जो किसान
गाड़ी का हॉर्न बजने पर
सड़क छोड़ खड़ा हो जाता है
वो कैसे किसी का
रास्ता रोक सकता है ?

जो किसान
चींटी को अंडा ले जाते
चिड़िया को धूल नहाते देख
बता सकता है कि
कब पानी आएगा
वो कैसे किसी के
बहकावे में आयेगा ?

ये दुखद घड़ी क्यों आई
कुछ तो चूक हुई है
कुछ पुरुस्कार में फूल गए
नदी से संवाद करने वाले
किसानों से संवाद करना भूल गए


जो किसान अपनी फसल की  रखवाली के लिए खुले आसमान के नीचे आंधी तूफान हिंसक जानवर से नहीं डरता  वो बन्दूक की गोली से नहीं मीठी बोली से मानेगा एक बार उसके अन्दर का दर्द अच्छे से जानिए वो अन्नदाता है, उसे केवल मतदाता मत मानिये  अपनी पूरी ताकत झोंकिये |

लेखक : अज्ञात

4 comments:

Theme images by konradlew. Powered by Blogger.