आंखे खोलने वाला बेहतरीन विश्लेषण : खासकर कुर्मी भाई लोग जरूर पढ़े और सीख ले
मित्रों अब 2019 के आम चुनाव के बारे में गहनता से सोचिए और किसी एक निष्कर्ष पर पहुँचकर उसका सभी लोग पालन कीजिये।
आप सभी लोग अभी तक विधायक ,सांसद व जिला पंचायत सदस्य (अलग-अलग राजनीतिक दलों के कुर्मी या अन्य जातियों के प्रत्याशी)आदि चुनते आ रहे हैं। मित्रों अब नेतृत्व/अपना नेता चुनने की बारी है। नेतृत्व का चुनाव कर एक राय बनाई जाय और सभी लोग उसे ही 2019 में वोट करें।
नेतृत्व ही आपकी सच्ची ताकत है।विधायक व सांसद आपने अभी तक खूब बनाये।पर मिला क्या अभी तक समाज को।यादवों ने नेतृत्व चुना और सारे यादव एकजुट होकर उसी अपने नेता को मजबूत करने में लग गये और वे लोग राजनीति में एक हस्ती बनकर उभरे और अपना चहुमुँखीं विकास करने में सफल रहे। यादवों ने मदनगोपाल जी ,नरेश जी व राकेश सचान जी आदि सब को वोट दिया वो इस लिए कि ये सब काम तो हमारे नेता मुलायम या अखिलेश के लिए ही करेंगे तथा उनकी बात या आदेश का अक्षरशः पालन करेंगे।
बहन मायावती ने नेतृत्व के दम पर ही अपनी पार्टी के ब्राह्मण व ठाकुर नेताओं से अम्बेडकर व पेरियार के पैर पुजवा लिए।जबकि ये ब्राह्मण व ठाकुर क्या कभी अम्बेडकर व पेरियार के पैर स्वयं प्रेरित होकर कभी छूते।शायद कभी नहीं।यही है नेतृत्व की ताकत।
अपना दल के 09 विधायकों में सारे कुर्मी नहीं हैं कुछ लीना तिवारी जैसी विधायक भी अपना दल से चुनकर आयी हैं।लीना तिवारी किसके लिए या किसके कहने पे काम करेंगी-अनुप्रिया जी के कहने पर।
माननीय नीतीश जी की पार्टी में ब्राह्मण,ठाकुर,यादव व मुस्लिम सभी जाति व वर्गों के विधायक हैं पर क्या वे स्वयं के विवेक से कम करते हैं ,नही।वे वही करते हैं जो नीतीश जी कहते हैं।
मित्रों यही है नेतृत्व की ताकत।नीतीश जी न्यायिक पदों में भी आरक्षण लागू करवा दिया जिसका सभी ब्राह्मण व ठाकुर विधायकों ने खुलकर समर्थन किया और इसे न्यायोचित बताया।
योगी आदित्यनाथ जी की सरकार द्वारा प्राइवेट मेडिकल कालेजों की PG की सीटों में आरक्षण समाप्त कर दिया गया।मगर 35 कुर्मी विधायकों व OBC व दलित समाज के भाजपा विधायकों व उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य में किसी की भी हिम्मत न हुई कि इस निर्णय का विरोध करे। इस समय ओबीसी व दलित अधिकारी ग़ैरमहत्वपूर्ण पदों पर भेजे जा रहे हैं जबकि समान्यवर्ग के अधिकारी मलाईदार पदों पर भेजे जा रहे हैं। ये सब नेतृत्व की ताकत है।
काछी-कुशवाहा समाज ने केशव मौर्य के कहने पर एक साथ BJP को वोट किया तो डिप्टी CM बन गया।जबकि हम लोग कैबिनेट में भी सही प्रतिनिधित्व न पा सके।
मित्रों अब नेतृत्व चुनने का निर्णय लो।विधायक व सांसद तो बहुत छन लिए। आज 2019 के चुनाव के लिए नेतृत्व के लिए दो ही विकल्प हैं-माननीय नीतीश कुमार जी या तो अनुप्रिया पटेल जी। दोनों के राजनीतिक कद,हैसियत,भविष्य की संभावनाओं व बेदाग व कर्मठ जीवन को देखकर अभी से मन बनाना शुरू कीजिये ताकि 2019 के चुनाव तक आप किसी एक नेता का चुनाव कर उसे अपने समाज का एकमुश्त वोट दिलाकर अपनी ताकत दिखा सके।
लेखक - (एक कुर्मी शुभचिंतक अधिकारी )
एडिटर : KCI(कुर्मी कम्युनिटी इंडिया )आप सभी लोग अभी तक विधायक ,सांसद व जिला पंचायत सदस्य (अलग-अलग राजनीतिक दलों के कुर्मी या अन्य जातियों के प्रत्याशी)आदि चुनते आ रहे हैं। मित्रों अब नेतृत्व/अपना नेता चुनने की बारी है। नेतृत्व का चुनाव कर एक राय बनाई जाय और सभी लोग उसे ही 2019 में वोट करें।
नेतृत्व ही आपकी सच्ची ताकत है।विधायक व सांसद आपने अभी तक खूब बनाये।पर मिला क्या अभी तक समाज को।यादवों ने नेतृत्व चुना और सारे यादव एकजुट होकर उसी अपने नेता को मजबूत करने में लग गये और वे लोग राजनीति में एक हस्ती बनकर उभरे और अपना चहुमुँखीं विकास करने में सफल रहे। यादवों ने मदनगोपाल जी ,नरेश जी व राकेश सचान जी आदि सब को वोट दिया वो इस लिए कि ये सब काम तो हमारे नेता मुलायम या अखिलेश के लिए ही करेंगे तथा उनकी बात या आदेश का अक्षरशः पालन करेंगे।
बहन मायावती ने नेतृत्व के दम पर ही अपनी पार्टी के ब्राह्मण व ठाकुर नेताओं से अम्बेडकर व पेरियार के पैर पुजवा लिए।जबकि ये ब्राह्मण व ठाकुर क्या कभी अम्बेडकर व पेरियार के पैर स्वयं प्रेरित होकर कभी छूते।शायद कभी नहीं।यही है नेतृत्व की ताकत।
अपना दल के 09 विधायकों में सारे कुर्मी नहीं हैं कुछ लीना तिवारी जैसी विधायक भी अपना दल से चुनकर आयी हैं।लीना तिवारी किसके लिए या किसके कहने पे काम करेंगी-अनुप्रिया जी के कहने पर।
माननीय नीतीश जी की पार्टी में ब्राह्मण,ठाकुर,यादव व मुस्लिम सभी जाति व वर्गों के विधायक हैं पर क्या वे स्वयं के विवेक से कम करते हैं ,नही।वे वही करते हैं जो नीतीश जी कहते हैं।
मित्रों यही है नेतृत्व की ताकत।नीतीश जी न्यायिक पदों में भी आरक्षण लागू करवा दिया जिसका सभी ब्राह्मण व ठाकुर विधायकों ने खुलकर समर्थन किया और इसे न्यायोचित बताया।
योगी आदित्यनाथ जी की सरकार द्वारा प्राइवेट मेडिकल कालेजों की PG की सीटों में आरक्षण समाप्त कर दिया गया।मगर 35 कुर्मी विधायकों व OBC व दलित समाज के भाजपा विधायकों व उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य में किसी की भी हिम्मत न हुई कि इस निर्णय का विरोध करे। इस समय ओबीसी व दलित अधिकारी ग़ैरमहत्वपूर्ण पदों पर भेजे जा रहे हैं जबकि समान्यवर्ग के अधिकारी मलाईदार पदों पर भेजे जा रहे हैं। ये सब नेतृत्व की ताकत है।
काछी-कुशवाहा समाज ने केशव मौर्य के कहने पर एक साथ BJP को वोट किया तो डिप्टी CM बन गया।जबकि हम लोग कैबिनेट में भी सही प्रतिनिधित्व न पा सके।
मित्रों अब नेतृत्व चुनने का निर्णय लो।विधायक व सांसद तो बहुत छन लिए। आज 2019 के चुनाव के लिए नेतृत्व के लिए दो ही विकल्प हैं-माननीय नीतीश कुमार जी या तो अनुप्रिया पटेल जी। दोनों के राजनीतिक कद,हैसियत,भविष्य की संभावनाओं व बेदाग व कर्मठ जीवन को देखकर अभी से मन बनाना शुरू कीजिये ताकि 2019 के चुनाव तक आप किसी एक नेता का चुनाव कर उसे अपने समाज का एकमुश्त वोट दिलाकर अपनी ताकत दिखा सके।
लेखक - (एक कुर्मी शुभचिंतक अधिकारी )
Bilkul sahi kaha.. Ye bat to bahut pahle se sochna chahiye tha
ReplyDeleteAap singh kyu bante ho jb..Ap kurmi h to..
DeleteBilkul sahi kaha.. Ye bat to bahut pahle se sochna chahiye tha
ReplyDeleteRajneeti Band kro.
ReplyDeleteRajneeti Band kro.
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